बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 15
तकनीकी प्रगति का अर्थ, तकनीकी प्रगति के माडल :
हिक्स, हैरोड, सोलो, काल्डोर एवं आर्थिक विकास का करने से
जानकारी (कौशल अर्जन ) दृष्टिकोण
(Meaning of Technical Progress, Models of Technical Progress : Hicks, Harrod, Solow, Kaldor and Learning by Doing Approach to Economic Growth)
प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
काल्डोर ने हैरड- डोमर के आर्थिक वृद्धि माडल को तकनीकी प्रगति फलन तथा पूँजी निवेश के बीच सम्बन्ध को दृष्टिगत रखते हुए संशोधित किया है। इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य गैर आर्थिक चरों की प्रकृति को प्रदर्शित करना है जो एक अर्थव्यवस्था के सामान्य उत्पादन स्तर को निर्धारित करते हैं। काल्डोर हैरड के उस ढंग पर विचार करते हैं जिसमें अतिरेक बचतों की समस्या का हल आय की ज्यामितिक वृद्धि माध्यम से किया जाता है। काल्डोर के अनुसार प्राविधिक दृढ़ता के कारण श्रम के बदले में पूँजी के प्रतिस्थापन की संभावना सीमित होती है। निवेश की नयी मात्रा प्रौद्योगिकी में परिवर्ततन ला सकती है। प्रौद्योगिक परिवर्तन, मात्र समय पर ही निर्भर नहीं करता है। किसी भी अर्थव्यवस्था का विकास एवं प्रगति आर्थिक एवं गैर-आर्थिक शक्तियों के सम्मिलित प्रयास का प्रतिफल होता है। यदि जनसंख्या वृद्धि आय वृद्धि से अधिक हो जाती है तब तकनीकी प्रगति फलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः आवश्यक है कि आय एवं जनसंख्या के बीच एक उचित सम्बन्ध बनाये रखा जाए। काल्डोर न केवल साधनों के अन्तर्सम्बन्ध पर बल देते हैं बल्कि उनकी परस्पर निर्भरता पर भी ध्यान देते हैं। इन्होंने इसमें तीन प्रमुख धारणाओं बचत, निवेश और तकनीकी फलन को अंगीकार किया गया है।
मान्यताएँ - काल्डोर का मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है-
1. एक विकासशील अर्थव्यवस्था में उत्पादन के एक स्तर को प्राप्त करने हेतु संसाधनों की मात्रा सीमित होती है।
2. उत्पादन के दो साधन हैं- पूँजी एवं श्रम। इस दृष्टि से आय को भी दो भागों में बांटा जा सकता है लाभ और मजदूरी। लाभ की सकल मात्रा बचा ली जाती है तथा मजदूरी की सकल मात्रा उपभोग कर ली जाती है।
3. इस मॉडल में मौलिक नीति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा मौद्रिक मजदूरी स्थिर रहती है।
4. सकल बचतें मजदूरियों में से की गयी बचतों तथा लाभों में से की गयी बचतों का योग होती है।
5. तकनीकी प्रगति पूँजी संचय की दर पर निर्भर करती है।
6. आय मजदूरियों तथा लाभों का योग है। मजदूरियों की शारीरिक श्रम का प्रतिफल तथा वेतन सम्मिलित है तथा लाभों में साहसियों तथा सम्पत्ति के स्वामियों की आय सम्मिलित है।
7. उत्पादन फलन कालपर्यन्त अपरिवर्तित रहता है तथा उत्पादन में स्केलगत स्थित प्रतिफल का नियम लागू होता है। पूँजी तथा श्रम एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
8. श्रमिकों की सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति पूँजीपतियों की सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की अपेक्षा अधिक होती है।
9. यह कीन्स की पूर्ण रोजगार परिकल्पना पर आधारित है जिसमें अल्पकाल में वस्तुओं एवं सेवाओं की समग्र पूर्ति बेलोच होती है।
10. मॉडल में प्रस्तुत समस्त समष्टि आर्थिक अवधारणाएँ आय, मजदूरियाँ एवं लाभ, पूँजी, बचत तथा निवेश स्थिर मूल्यों में व्यक्त की गयी हैं।
11. यह मजदूरी वस्तु के रूप में स्थिर मजदूरी पर असीमित श्रम पूर्ति की मान्यता पर आधारित हैं।
12. निवेश की दर या निवेश का कुल आय से अनुपात को एक स्वतंत्र चर राशि माना गया है।
मॉडल की कार्यशीलता
काल्डोर के मॉडल में वृद्धि प्रतिमान के तीन प्रमुख निर्धारक हैं- बचत आय अनुपात, प्राविधिक प्रगति तथा जनसंख्या वृद्धि। ये सभी आर्थिक प्रणाली के बहिर्जात साधन माने गये हैं।
इस मॉडल का प्रमुख लक्ष्य समग्र चरों के बीच व्यापक सम्बन्धों के रूप में पूँजीवादी विकास का वर्णन करना है। यह मॉडल दो अवस्थाओं में कार्य करता है-
(A) स्थिर कार्यशील जनसंख्या,
(B) बढ़ती हुयी जनसंख्या।
स्थिर कार्यशील जनसंख्या की दशा में कुछ वास्तविक आय की आनुपातिक वृद्धि पर प्रति व्यक्ति उत्पादन की आनुपातिक वृद्धि दर के बराबर होगी। जनसंख्या विस्तार की दशा में कुछ वास्तविक आय में आनुपातिक परिवर्तन प्रति व्यक्ति उत्पादन में आनुपातिक परिवर्तन तथा कुल कार्यशील जनसंख्या में आनुपातिक परिवर्तन का योग है।
(A) स्थिर कार्यशील जनसंख्या - प्रो. काल्डोर ने मॉडल के कार्यकरण को समझाने की दृष्टि से निम्नलिखित तीन फलनों का निरूपण किया है -
1. बचत फलन,
2. निवेश फलन,
3. तकनीकी प्रगति फलन।
1. बचत फलन - बचत फलन की व्याख्या हेतु काल्डोर ने निम्नलिखित प्रतीकों का
प्रयोग किया है-
Q = उत्पादन
r = ब्याज दर
K = पूँजी
K' = निवेश
Sr,Sw = लाभों में से औसत बचत, मजदूरियों में से औसत बचत
S = बचत
बचत एवं निवेश को निम्नवत प्रस्तुत किया जा सकता है - K' = S
K'= Sr.(rK) + Sw (Q - rK) [जहाँ r,K = सकल लाभ ]
K' = Sr. rK + SwQ - SwrK [(Q-rK) = सकल मजदूरियाँ] K' = Sw.Q + rK ( Sr - Sw)
K' - Sw.Q =rK ( Sr - Sw)
इस तरह लाभ की दर प्राकृतिक वृद्धि दर तथा लाभों में से बचत के अनुपात द्वारा निर्धारित होती है।
2. निवेश फलन - निवेश फलन इस अवधारणा पर आधारित है कि किसी भी समय निवेश सम्बन्धी निर्णय पूँजी स्टॉक को धारण करने की इच्छा तथा पूँजी पर लाभ की दर में परिवर्तन निर्भर करता है। काल्डोर ने किसी समय (t) पर पूँजी स्टॉक ( K ) को निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त किया है।
ये असमिकाएं संतुलन पथ के स्थायित्व में बाधक के रूप में कार्य करती हैं। समीकरण (6) यह स्पष्ट करता है कि लाभ मजदूरियों को घटाने के बाद बची आय से अधिक नहीं होना चाहिए तथा लाभ की दर लाभ के न्यूनतम सीमान्त दर (m) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यह समीकरण G की संतुलन वृद्धि दर का निर्धारण तकनीकी प्रगति फलन के रूप में करता है तथा बचत एवं निवेश से स्वतंत्र होता है।
(B) बढ़ती हुई जनसंख्या अथवा जनसंख्या विस्तार - अपने मॉडल के द्वितीय भाग में काल्डोर अपनी स्थिर कार्यशील जनसंख्या की मान्यता का परित्याग कर देते हैं। माल्थस की जनसंख्या सिद्धान्त का अनुसरण करते हुए यह मान लेते हैं कि -
(i) किसी समुदाय में एक दी हुयी प्रजनन दर पर जनसंख्या वृद्धि की दर का प्रतिशत एक निश्चित अधिकतम सीमा से अधिक नहीं हो सकता फिर भी वास्तविक आय में वृद्धि होती रहती है।
(ii) अधिकतम स्थिति आने से पूर्व तक आय में वृद्धि दर के फलन के रूप में जनसंख्या वृद्धि की दर परिमित रूप से बढ़ेगी।
जनसंख्या वृद्धि की आय वृद्धि दर निर्भरता को निम्नलिखित चित्र ( 3 ) द्वारा प्रदर्शित किया गया है -
चित्र में OX अक्ष पर आय की आनुपातिक वृद्धि को तथा OY अक्ष पर जनसंख्या की आनुपातिक वृद्धि को प्रदर्शित किया गया है। रेखा PLA जनसंख्या वृद्धि को दर्शाती है। जब आप वृद्धि की दर एक निश्चित क्रान्तिक मूल्य से बढ़ती है तब जनसंख्या वृद्धि रेखा क्षैतिज हो जाती है। आप वृद्धि के साथ जनसंख्या वृद्धि के सम्बन्ध को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
I+ = gt (gt > A )
-I = ^(gt > 2)
जहाँ I, gt क्रमशः जनसंख्या वृद्धि एवं आय वृद्धि की प्रतिशत दरें है तथा जनसंख्या वृद्धि की अधिकतम दर। आय की वृद्धि दर तथा जनसंख्या की वृद्धि दर तब तक बढ़ती जायेगी जब तक कि जनसंख्या की वृद्धि दर नहीं हो जाती है। दीर्घकालीन संतुलन की दशा में आय तथा पूँजी दोनों की वृद्धि दरें होंगी-
G = Y' + 2
दीर्घकाल में जनसंख्या अपने अधिकतम दर से बढ़ती है। यहाँ यह मान लिया गया हैं कि तकनीकी प्रगति फलन के स्वरूप एवं स्थिति पर जनसंख्या में परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः पैमाने का स्थिर प्रतिफल नियम क्रियाशील रहता है। यह शर्त आधुनिक एवं अल्प जनसंख्या वाले देशों में सही ठहरती है।
यह धारणा अल्पविकसित देशों के संदर्भ में लागू नहीं होती है क्योंकि यहाँ भूमि की दुर्लभता के कारण क्रमागत उत्पत्ति ह्रास नियम क्रियाशील होता है। यहां जनसंख्या वृद्धि दर में वृद्धि होने के कारण तकनीकी प्रगति फलन घट जाता है।
|
- प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
- प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
- प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
- प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
- प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
- प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
- प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
- प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
- प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
- प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
- प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
- प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
- प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
- प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
- प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
- प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
- प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
- प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
- प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
- प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
- प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति किस प्रकार कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सफलताओं एवं असफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को होने वाले लाभों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
- प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
- प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।